सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले को टीबी और कुष्ठ मुक्त बनाने के लिए सर्वे व जांच अभियान प्रारंभ

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सारंगढ़ बिलाईगढ़, //सीएमएचओ डॉ एफ आर निराला के मुख्य आतिथ्य में बिलाईगढ़ क्षेत्र के ग्राम पवनी से सर्वे टीम ने टीबी, कुष्ठ, बीपी, शुगर आदि की जांच प्रारंभ किया है। जिले में टीबी और कुष्ठ की स्थिति हाइइंडिमिक है, वहीं प्रदेश में निक्षय निरामय अभियान जारी है, जिसका उद्देश्य बीमारी विहीन देश का निर्माण और भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी का उन्नमूलन करने का निर्णय लिया है। अब इसके लिए मात्र 13 महीने का समय बचा है। इस कारण 100 दिन टीबी के लिए जागरूकता एवं बीमारी को खोजने का निर्णय लिया गया है।

छत्तीसगढ़ शासन में टीबी के साथ साथ कुष्ठ रोग के उन्मूलन का भी निर्णय लिया जबकि हाई बीपी, मधुमेह के रोगी को चिन्हांकित करने के लिए भी इसी अभियान में सम्मिलित किया है। 60 वर्ष के ऊपर के सभी व्यक्तियों की बीपी, शुगर की जांच, मोतियाबिंद की पहचान का भी निर्णय लिया है एवं 70 वर्ष के ऊपरवाले सभी व्यक्तियों का आयुष्मान कार्ड भी बनाया जाना है क्योंकि 70 वर्ष के ऊपर के सभी लोगों को आयुष्मान वय वंदना योजना के लिए सभी के पास जिनका उम्र 70 साल के ऊपर है। आयुष्मान कार्ड हो तो व्यक्तिगत रूप से 5 लाख की अतिरिक्त इंश्योरेंस मिलेगी और वे फ्री में अपना इलाज करवा सकते है।

इन सभी बीमार व्यक्ति को खोज करने के लिए 1414 मितानिन , 72 मितानिन प्रशिक्षक , 119 पर्यवेक्षक टीबी ट्रीटमेंट सुपरवाइजर , टीबी रनर , के साथ सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, सभी आरएमए, सभी चिकित्सक की ड्यूटी लगाया गया है। मितानिन 14 दिन तक अपने अपने श्रेत्र के प्रत्येक घर में जाकर टीबी के लक्षण के आधार पर शंका प्रद मरीज की पहचान करेंगे। शंकाप्रद पाए जाने पर उनका लिस्टिंग करेंगे और उनकी सत्यापन के लिए बलगम के नमूने लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में टीबी रनर के माध्यम से भेजेंगे। इसकी जानकारी को मितानिन प्रशिक्षक पास के पीएचसी में जाकर पोर्टल में इंट्री करवाएंगे जिसे पीएचसी के पीएडीए इंट्री करेंगे और इस शंकाप्रद मरीज की सत्यापन के लिए सैंपल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रेफर करेंगे प्रत्येक सीएचसी में रेफरल प्रपत्र के साथ भेजे गए सैंपल की जांच त्रुनात मशीन से की जाएगी तथा छाती में कोई लक्षण हो तो उसकी एक्सरे भी करेंगे। टीबी के लक्षण वाले हर एक व्यक्ति को मितानिन चिन्हांकित करेगी एवं सबको सीएचसी सत्यापन लिए रेफर करेगी। फेफड़े के बाहर के टीबी की भी पहचान अन्य जांच के माध्यम से की प्रयास है। एक भी टीबी के प्रकरण छूट न पावे पुष्टि होने पर इन सभी को टीबी की दवाई डॉट्स दी जाएगी यही नहीं क्लोज कॉन्टैक्ट परिजन परिवार वाले को टीबी की बचाव के दवाई दी जाएगी। मितानिन प्रशिक्षक मितानिन द्वारा किए सर्वे की रिपोर्ट प्रति कार्य दिवस अपने अपने सीएचसी तक भेजेगी। इसी तरह कुष्ठ के शंकाप्रद मरीज की खोज अभियान भी साथ साथ चल रही है। मितानिन घर घर जाकर घर के सभी सदस्यों को जांच करेंगे मितानिन को टीबी, कुष्ठ के मरीज को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया गया है मितानिन प्रशिक्षक,स्वास्थ्य संयोजक, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भी मितानिन को क्षेत्र में मदद करेंगे। कुल मिलाकर एक भी कुष्ठ के शंका प्रद मरीज न छूट पाए मितानिन इन सभी शंकाप्रद कुष्ठ के मरीज को सत्यापान के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजेंगे, जहां इनकी सत्यापन की जाएगी सत्यापन में कुष्ठ की पुष्टि होने पर उनका पंजीयन कर कुष्ठ की दवाई एमडीटी प्रदान की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि टीबी व कुष्ठ एक संक्रामक बीमारी है। दोनों ही बीमारी की पहचान देरी से होने पर ये मरीज के पास व साथ रहने वाले को भी संक्रमित करते है। इस कारण इन दोनों ही बीमारी को जल्द से जल्द पहचानने की जरूरत है। देरी से पहचान व पंजीकृत होने पर अनेकों लोग इन बीमारियों से पीड़ित हो जाते है। इसलिए जरूरी है कि प्रत्येक परिवार के सदस्य, घर गई मितानिन को अपनी परिवार के सभी सदस्यों की सम्पूर्ण जानकारी दे। इन बीमारी के संबंध में कोई तथ्य न छिपाए। सभी संक्रमित व्यक्ति की पहचान होने पर इनकी त्वरित उपचार की जा सकेगी और हम समाज में टीबी कुष्ठ की प्रभाव दर को कम कर पाएंगे।

इस प्रकार समाज, टीबी एवं कुष्ठ मुक्त हो सकेगी। जब मितानिन घर घर जा ही रही है तो घर में निवासरत 60 वर्ष के सभी लोगों को बीपी शुगर के लिए भी चिन्हांकित कर रेफर करेगी, जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी सत्यापन करेगी एवं उनको बीपी,शुगर की दवाई नियमित रूप से प्रदान करेगी यही नहीं 60 वर्ष के इन बुजुर्गो की चलने,देखने एवं सुनने की क्षमताओं की भी आंकलन करेगी तथा इन बुजुर्गो को यदि छड़ी की जरूरत हो तो,सुनने के लिए मशीन की आवश्यकता हो तो या फिर आंख में मोतियाबिंद हो तो भी उसका चिन्हांकन कर आवश्यक मदद के प्रयास किए जाएंगे।

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